नजर उतारने के उपाय
नजर उतारने के उपाय
१॰ बच्चे ने दूध पीना या खाना छोड़ दिया हो, तो रोटी या दूध को बच्चे पर से ‘आठ’ बार उतार के कुत्ते या गाय को खिला दें।
१॰ बच्चे ने दूध पीना या खाना छोड़ दिया हो, तो रोटी या दूध को बच्चे पर से ‘आठ’ बार उतार के कुत्ते या गाय को खिला दें।
२॰ नमक, राई के दाने, पीली सरसों, मिर्च, पुरानी झाडू का एक टुकड़ा लेकर  
‘नजर’ लगे व्यक्ति पर से ‘आठ’ बार उतार कर अग्नि में जला दें। ‘नजर’ लगी होगी, तो मिर्चों की धांस नहीँ आयेगी।
३॰ जिस व्यक्ति पर शंका हो, उसे बुलाकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर उससे हाथ फिरवाने से लाभ होता है।
४॰ पश्चिमी देशों में नजर लगने की आशंका के चलते ‘टच वुड’ कहकर लकड़ी के फर्नीचर को छू लेता है। ऐसी मान्यता है कि उसे नजर नहीं लगेगी।
५॰ गिरजाघर से पवित्र-जल लाकर पिलाने का भी चलन है।
६॰ इस्लाम धर्म के अनुसार ‘नजर’ वाले पर से ‘अण्डा’ या ‘जानवर की कलेजी’ उतार के ‘बीच चौराहे’ पर रख दें। दरगाह या कब्र से फूल और अगर-बत्ती की राख लाकर ‘नजर’ वाले के सिरहाने रख दें या खिला दें।
७॰ एक लोटे में पानी लेकर उसमें नमक, खड़ी लाल मिर्च डालकर आठ बार उतारे। 
 फिर थाली में दो आकृतियाँ- एक काजल से, दूसरी कुमकुम से बनाए। लोटे का 
पानी  थाली में डाल दें। एक लम्बी काली या लाल रङ्ग की बिन्दी लेकर उसे तेल
 में  भिगोकर ‘नजर’ वाले पर उतार कर उसका एक कोना चिमटे या सँडसी से पकड़ 
कर नीचे  से जला दें। उसे थाली के बीचो-बीच ऊपर रखें। गरम-गरम काला तेल 
पानी वाली  थाली में गिरेगा। यदि नजर लगी होगी तो, छन-छन आवाज आएगी, अन्यथा
 नहीं।
८॰ एक नींबू लेकर आठ बार उतार कर काट कर फेंक दें।
९॰ चाकू से जमीन पे एक आकृति बनाए। फिर चाकू से ‘नजर’ वाले व्यक्ति पर से 
 एक-एक कर आठ बार उतारता जाए और आठों बार जमीन पर बनी आकृति को काटता जाए।
१०॰ गो-मूत्र पानी में मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाए और उसके आस-पास पानी में 
 मिलाकर छिड़क दें। यदि स्नान करना हो तो थोड़ा स्नान के पानी में भी डाल  
दें।
११॰ थोड़ी सी 
राई, नमक, आटा या चोकर और ३, ५ या ७ लाल सूखी मिर्च लेकर,  जिसे ‘नजर’ लगी 
हो, उसके सिर पर सात बार घुमाकर आग में डाल दें। ‘नजर’-दोष  होने पर मिर्च 
जलने की गन्ध नहीं आती।
१२॰ पुराने कपड़े की सात चिन्दियाँ लेकर, सिर पर सात बार घुमाकर आग में जलाने से ‘नजर’ उतर जाती है।
१३॰ झाडू को चूल्हे / गैस की आग में जला कर, चूल्हे / गैस की तरफ पीठ कर  
के, बच्चे की माता इस जलती झाडू को 7 बार इस तरह स्पर्श कराए कि आग की तपन 
 बच्चे को न लगे। तत्पश्चात् झाडू को अपनी टागों के बीच से निकाल कर बगैर  
देखे ही, चूल्हे की तरफ फेंक दें। कुछ समय तक झाडू को वहीं पड़ी रहने दें।  
बच्चे को लगी नजर दूर हो जायेगी।
१४॰ नमक की डली, काला कोयला, डंडी वाली 7 लाल मिर्च, राई के दाने तथा  
फिटकरी की डली को बच्चे या बड़े पर से 7 बार उबार कर, आग में डालने से सबकी 
 नजर दूर हो जाती है।
१५॰ फिटकरी की डली को, 7 बार बच्चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर आग में  
डालने से नजर तो दूर होती ही है, नजर लगाने वाले की धुंधली-सी शक्ल भी  
फिटकरी की डली पर आ जाती है।
१६॰ तेल की बत्ती जला कर, बच्चे/बड़े/पशु पर से 7 बार उबार कर दोहाई बोलते 
 हुए दीवार पर चिपका दें। यदि नजर लगी होगी तो तेल की बत्ती भभक-भभक कर  
जलेगी। नजर न लगी होने पर शांत हो कर जलेगी।
१७॰ “नमो
 सत्य आदेश। गुरु का ओम नमो नजर, जहाँ पर-पीर न जानी। बोले  छल सो 
अमृत-बानी। कहे नजर कहाँ से आई ? यहाँ की ठोर ताहि कौन बताई ? कौन  जाति 
तेरी ? कहाँ ठाम ? किसकी बेटी ? कहा तेरा नाम ? कहां से उड़ी, कहां को  जाई
 ? अब ही बस कर ले, तेरी माया तेरी जाए। सुना चित लाए, जैसी होय सुनाऊँ  
आय। तेलिन-तमोलिन, चूड़ी-चमारी, कायस्थनी, खत-रानी, कुम्हारी, महतरानी,  
राजा की रानी। जाको दोष, ताही के सिर पड़े। जाहर पीर नजर की रक्षा करे।  
मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा।”
विधि- मन्त्र पढ़ते हुए मोर-पंख से व्यक्ति को सिर से पैर तक झाड़ दें।
विधि- मन्त्र पढ़ते हुए मोर-पंख से व्यक्ति को सिर से पैर तक झाड़ दें।
१८॰ “वन गुरु इद्यास करु। सात समुद्र सुखे जाती। चाक बाँधूँ, चाकोली बाँधूँ, दृष्ट बाँधूँ। नाम बाँधूँ तर बाल बिरामनाची आनिङ्गा।”
विधि-
 पहले मन्त्र को  सूर्य-ग्रहण या चन्द्र-ग्रहण में सिद्ध करें। फिर प्रयोग 
हेतु उक्त मन्त्र  के यन्त्र को पीपल के पत्ते पर किसी कलम से लिखें। “देवदत्त” के
  स्थान पर नजर लगे हुए व्यक्ति का नाम लिखें। यन्त्र को हाथ में लेकर उक्त
  मन्त्र ११ बार जपे। अगर-बत्ती का धुवाँ करे। यन्त्र को काले डोरे से 
बाँधकर  रोगी को दे। रोगी मंगलवार या शुक्रवार को पूर्वाभिमुख होकर ताबीज 
को गले  में धारण करें।
१९॰ “ॐ
 नमो आदेश। तू ज्या नावे, भूत पले, प्रेत पले, खबीस पले,  अरिष्ट पले- सब 
पले। न पले, तर गुरु की, गोरखनाथ की, बीद याहीं चले। गुरु  संगत, मेरी भगत,
 चले मन्त्र, ईश्वरी वाचा।”
विधि- उक्त मन्त्र से सात बार ‘राख’ को अभिमन्त्रित कर उससे रोगी के कपाल पर टिका लगा दें। नजर उतर जायेगी।
विधि- उक्त मन्त्र से सात बार ‘राख’ को अभिमन्त्रित कर उससे रोगी के कपाल पर टिका लगा दें। नजर उतर जायेगी।
२०॰ “ॐ
 नमो भगवते श्री पार्श्वनाथाय, ह्रीं धरणेन्द्र-पद्मावती  सहिताय। 
आत्म-चक्षु, प्रेत-चक्षु, पिशाच-चक्षु-सर्व नाशाय,  सर्व-ज्वर-नाशाय, 
त्रायस त्रायस, ह्रीं नाथाय स्वाहा।”
विधि- उक्त जैन मन्त्र को सात बार पढ़कर व्यक्ति को जल पिला दें।
विधि- उक्त जैन मन्त्र को सात बार पढ़कर व्यक्ति को जल पिला दें।
२१॰ “टोना-टोना
 कहाँ चले? चले बड़ जंगल। बड़े जंगल का करने ? बड़े  रुख का पेड़ काटे। 
बड़े रुख का पेड़ काट के का करबो ? छप्पन छुरी बनाइब।  छप्पन छुरी बना के 
का करबो ? अगवार काटब, पिछवार काटब, नौहर काटब, सासूर  काटब, काट-कूट के 
पंग बहाइबै, तब राजा बली कहाईब।”
विधि- ‘दीपावली’ या ‘ग्रहण’-काल में एक दीपक के सम्मुख उक्त मन्त्र का २१ बार जप करे। फिर आवश्यकता पड़ने पर भभूत से झाड़े, तो नजर-टोना दूर होता है।
विधि- ‘दीपावली’ या ‘ग्रहण’-काल में एक दीपक के सम्मुख उक्त मन्त्र का २१ बार जप करे। फिर आवश्यकता पड़ने पर भभूत से झाड़े, तो नजर-टोना दूर होता है।
२२॰ डाइन या नजर झाड़ने का मन्त्र
“उदना देवी, सुदना गेल। सुदना देवी कहाँ गेल ? केकरे गेल ? सवा सौ लाख विधिया गुन, सिखे गेल। से गुन सिख के का कैले ? भूत के पेट पान कतल कर दैले। मारु लाती, फाटे छाती और फाटे डाइन के छाती। डाइन के गुन हमसे खुले। हमसे न खुले, तो हमरे गुरु से खुले। दुहाई ईश्वर-महादेव, गौरा-पार्वती, नैना-जोगिनी, कामरु-कामाख्या की।”
विधि- किसी को नजर लग गई हो या किसी डाइन ने कुछ कर दिया हो, उस समय वह किसी को पहचानता नहीं है। उस समय उसकी हालत पागल-जैसी हो जाती है। ऐसे समय उक्त मन्त्र को नौ बार हाथ में ‘जल’ लेकर पढ़े। फिर उस जल से छिंटा मारे तथा रोगी को पिलाए। रोगी ठीक हो जाएगा। यह स्वयं-सिद्ध मन्त्र है, केवल माँ पर विश्वास की आवश्यकता है।
“उदना देवी, सुदना गेल। सुदना देवी कहाँ गेल ? केकरे गेल ? सवा सौ लाख विधिया गुन, सिखे गेल। से गुन सिख के का कैले ? भूत के पेट पान कतल कर दैले। मारु लाती, फाटे छाती और फाटे डाइन के छाती। डाइन के गुन हमसे खुले। हमसे न खुले, तो हमरे गुरु से खुले। दुहाई ईश्वर-महादेव, गौरा-पार्वती, नैना-जोगिनी, कामरु-कामाख्या की।”
विधि- किसी को नजर लग गई हो या किसी डाइन ने कुछ कर दिया हो, उस समय वह किसी को पहचानता नहीं है। उस समय उसकी हालत पागल-जैसी हो जाती है। ऐसे समय उक्त मन्त्र को नौ बार हाथ में ‘जल’ लेकर पढ़े। फिर उस जल से छिंटा मारे तथा रोगी को पिलाए। रोगी ठीक हो जाएगा। यह स्वयं-सिद्ध मन्त्र है, केवल माँ पर विश्वास की आवश्यकता है।
२३॰ नजर झारने के मन्त्र
१॰ “हनुमान चलै, अवधेसरिका वृज-वण्डल धूम मचाई। टोना-टमर, डीठि-मूठि सबको खैचि बलाय। दोहाई छत्तीस कोटि देवता की, दोहाई लोना चमारिन की।”
२॰ “वजर-बन्द वजर-बन्द टोना-टमार, डीठि-नजर। दोहाई पीर करीम, दोहाई पीर असरफ की, दोहाई पीर अताफ की, दोहाई पीर पनारु की नीयक मैद।”
विधि- उक्त मन्त्र से ११ बार झारे, तो बालकों को लगी नजर या टोना का दोष दूर होता है।
२४॰ नजर-टोना झारने का मन्त्र१॰ “हनुमान चलै, अवधेसरिका वृज-वण्डल धूम मचाई। टोना-टमर, डीठि-मूठि सबको खैचि बलाय। दोहाई छत्तीस कोटि देवता की, दोहाई लोना चमारिन की।”
२॰ “वजर-बन्द वजर-बन्द टोना-टमार, डीठि-नजर। दोहाई पीर करीम, दोहाई पीर असरफ की, दोहाई पीर अताफ की, दोहाई पीर पनारु की नीयक मैद।”
विधि- उक्त मन्त्र से ११ बार झारे, तो बालकों को लगी नजर या टोना का दोष दूर होता है।
“आकाश बाँधो, पाताल बाँधो, बाँधो आपन काया। तीन डेग की पृथ्वी बाँधो, गुरु जी की दाया। जितना गुनिया गुन भेजे, उतना गुनिया गुन बांधे। टोना टोनमत जादू। दोहाई कौरु कमच्छा के, नोनाऊ चमाइन की। दोहाई ईश्वर गौरा-पार्वती की, ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।”
विधि- नमक अभिमन्त्रित कर खिला दे। पशुओं के लिए विशेष फल-दायक है।
२५॰ नजर उतारने का मन्त्र
“ओम
 नमो आदेश गुरु का।  गिरह-बाज नटनी का जाया, चलती बेर कबूतर खाया, पीवे 
दारु, खाय जो मांस,  रोग-दोष को लावे फाँस। कहाँ-कहाँ से लावेगा? गुदगुद 
में सुद्रावेगा,  बोटी-बोटी में से लावेगा, चाम-चाम में से लावेगा, नौ 
नाड़ी बहत्तर कोठा में  से लावेगा, मार-मार बन्दी कर लावेगा। न लावेगा, तो 
अपनी माता की सेज पर पग  रखेगा। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, फुरो मन्त्र 
ईश्वरी वाचा।”
विधिः- छोटे बच्चों और सुन्दर स्त्रियों को नजर लग जाती है। उक्त मन्त्र पढ़कर मोर-पंख से झाड़ दें, तो नजर दोष दूर हो जाता है।
विधिः- छोटे बच्चों और सुन्दर स्त्रियों को नजर लग जाती है। उक्त मन्त्र पढ़कर मोर-पंख से झाड़ दें, तो नजर दोष दूर हो जाता है।
२६॰ नजर-टोना झारने का मन्त्र
“कालि देवि, कालि देवि, सेहो देवि, कहाँ गेलि, विजूवन खण्ड गेलि, कि करे गेलि, कोइल काठ काटे गेलि। कोइल काठ काटि कि करति। फलाना का धैल धराएल, कैल कराएल, भेजल भेजायल। डिठ मुठ गुण-वान काटि कटी पानि मस्त करै। दोहाई गौरा पार्वति क, ईश्वर महादेव क, कामरु कमख्या माई इति सीता-राम-लक्ष्मण-नरसिंघनाथ क।”
विधिः- किसी को नजर, टोना आदि संकट होने पर उक्त मन्त्र को पढ़कर कुश से झारे।
नोट
 :- नजर उतारते समय, सभी प्रयोगों में ऐसा बोलना आवश्यक है कि “इसको  बच्चे
 की, बूढ़े की, स्त्री की, पुरूष की, पशु-पक्षी की, हिन्दू या मुसलमान  की, 
घर वाले की या बाहर वाले की, जिसकी नजर लगी हो, वह इस बत्ती, नमक, राई,  
कोयले आदि सामान में आ जाए तथा नजर का सताया बच्चा-बूढ़ा ठीक हो जाए।  
सामग्री आग या बत्ती जला दूंगी या जला दूंगा।´´“कालि देवि, कालि देवि, सेहो देवि, कहाँ गेलि, विजूवन खण्ड गेलि, कि करे गेलि, कोइल काठ काटे गेलि। कोइल काठ काटि कि करति। फलाना का धैल धराएल, कैल कराएल, भेजल भेजायल। डिठ मुठ गुण-वान काटि कटी पानि मस्त करै। दोहाई गौरा पार्वति क, ईश्वर महादेव क, कामरु कमख्या माई इति सीता-राम-लक्ष्मण-नरसिंघनाथ क।”
विधिः- किसी को नजर, टोना आदि संकट होने पर उक्त मन्त्र को पढ़कर कुश से झारे।

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